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मिर्जा गालिब के 10 मशहूर शेर

मिर्जा गालिब के 10 मशहूर शेर

 

• रंज से ख़ूगर हुआ इंसां तो मिट जाता है रंज,

मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसां हो गईं

 

• हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे,

कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ

 

• वो आए घर में हमारे ख़ुदा की कुदरत है, कभी

हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं

 

• तिरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना, कि

ख़ुशी से मर न जाते अगर ए’ तिबार होता

 

• ये कहां की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह,

कोई चारासाज़ होता कोई ग़म गुसार होता

 

• रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ‘ग़ालिब’, कहते हैं

अगले ज़माने में कोई ‘मीर’ भी था

 

• ग़ालिब’ हमें न छेड़ कि फिर जोश-ए-अश्क से,

बैठे हैं हम तहय्या-ए-तूफ़ां किए हुए

 

• क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक

हैं, मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाए क्यूं

 

• ये मसाईल -ए-तसव्वुफ़ ये तिरा बयान ‘ग़ालिब’,

तुझे हम वली समझते जो न बादा-ख़्वार होता

 

 

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